tag:blogger.com,1999:blog-38426459036772972902024-03-05T20:13:11.183+05:30भारतीय नागरिक - Indian Citizenजैसा मैंने महसूस किया, लिख दिया, गलतियाँ स्वाभाविक हैं, मैं sympathy की बात नहीं करता, बात करता हूँ empathy की. दिक्कत मुझे तब होती है, जब बराबरी का पैमाना सब के लिए अलग- अलग होता है. आज भी भारत में आदमी की विष्ठा को आदमी ढो़ रहा है-यह सिलसिला कब खत्म होगा? इस यक्ष प्रश्न के साथ आपके सामने.भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttp://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comBlogger0125